अर्ध मार्तण्ड।
कोनसा ग्रहःनक्षत्र क्या फल देता है शैर बजार में।
सूर्य: यह ब्रह्मांड का राजा ग्रह है। इसे स्टाॅक एक्सचेंज का कारक भी मानते हैं। जब कभी कोई ग्रह सूर्य के कारण अस्त ह ता है तो शेयर बाजार का रुख बदल जाता है। यदि बाजार तेजी की ओर चल रहा हो तो मंदी की ओर और यदि मंदी की ओर चल रहा हो तो तेजी की ओर चलने लगता है। अग्नि तत्व राशियों (1, 5, 9) तथा वायु तत्व राशियों (3, 7, 11) में सूर्य बाजार में तेजी लाता है। सूर्य पर जब अशुभ ग्रह मंगल, शनि और राहु का प्रभाव होता है, या वह शत्रु राशि में होता है तो बाजार का रुख तेजी की ओर होता है। इसलिए सूर्य संक्रांति की ग्रह स्थिति को देख कर ज्योतिषी महीने भर के लिए बाजार के रुख का पूर्वानुमान लगाते हैं। सूर्य का राशि में गोचर या दृष्टि उस राशि की कारक वस्तुओं में तेजी लाती है। सूर्य का राहु, केतु, हर्षल, नेप्च्यून, प्लूटो, शनि या मंगल के साथ संबंध बाजार के रुख में परिवर्तन लाता है। चंद्रमा: यह पृथ्वी के सबसे निकट तथा शीघ्रगामी ग्रह है। इसलिए इसका प्रभाव भी सबसे अधिक होता है। दैनिक तेजी/ मंदी का विचार चंद्रमा से किया जाता है। चंद्रमा का बल उसके पक्ष के अनुसार होता है। चंद्रमा शुक्ल पक्ष एकादशी से कृष्ण पक्ष पंचमी तक पूर्ण बली तथा शुभ रहता है। कृष्ण पक्ष षष्ठी से अमावस्या तक निर्बल होता जाता है तथा अशुभ कहलाता है। शुक्ल प्रतिपदा से वह बल प्राप्त करना आंरभ करता है और इस पक्ष की पंचमी से दशमी तक मध्यम बली कहलाता है। शुभ चंद्रमा मंदी कारक और अशुभ तेजी कारक होता है। अशुभ चंद्रमा का पाप ग्रहों से संबंध अधिक तेजी लाता है। चंद्रमा के शुक्ल पक्ष में प्रवेश की कुंडली बना कर तेजी/मंदी का अनुमान लगाया जाता है। अग्नि तत्व राशियां में चंद्रमा का गोचर तेजी का कारक होता है। पीड़ित, शत्रुराशिस्थ तथा पाप मध्य चंद्रमा तेजी कारक होता है। चंद्रमा का सर्वाधिक प्रभाव तरल पदार्थों पर होता है। भरणी, कृत्तिका, आद्र्रा, अश्लेषा तथा मघा नक्षत्रों पर उदय सर्वाधिक तेजी लाता है। मंगल: मंगल अग्नि तत्व ग्रह है, इसलिए तेजी कारक है। जब मंगल अग्नि तत्व या वायु तत्व राशियों में गोचर करता है तो तेजी लाता है। जल तत्व राशियों में अचानक तेजी या मंदी लाता है। उस पर अशुभ ग्रहों का प्रभाव तेजी लाता है। वह जब वक्री होता है तो तेजी लाता है। मार्गी तथा शुभ ग्रहों के प्रभाव में होने पर मंदी लाता है। यदि मंगल उच्च राशि मकर में वक्री हो तो अधिक तेजी लाता है और नीच राशि कर्क में वक्री हो तो अचानक तेजी या मंदी लाता है। बुध: बुध व्यापार, बुद्धि, वाणी और शेयर बाजार का कारक ग्रह है। इसमें तेजी और मंदी दोनों का फल मिलता है। यह शीघ्रगति ग्रह है तथा हमेशा अन्य ग्रहों का प्रभाव देता है। इसलिए शेयर बाजार की जानकारी के लिए बुध का अध्ययन करना अति आवश्यक है। बुध के वक्री होने पर तेजी आती है। यदि वक्री बुध पर अशुभ ग्रहों का प्रभाव हो तो तेजी अधिक होती है। उच्च का बुध वक्री होने पर मंदी कारक और नीच का वक्री होने पर तेजी कारक होता है। बुध के उदय होने पर शेयर बाजार में पहले तेजी फिर मंदी आती है। गुरु: यह एक नैसर्गिक शुभ ग्रह हैं, इसलिए मंदी कारक है। इसकी गति मंद होने के कारण यह एक वर्ष के लिए तेजी या मंदी लाता है। अशुभ प्रभाव में बृहस्पति तेजी का कारक बन जाता है। बृहस्पति के वक्री होने पर स्थायी मंदी आती है। सिंह राशि में वक्री होने पर यह तेजी कारक होता है। मित्र राशि, स्वराशि और उच्च राशि में स्थित हो तो लंबे समय तक मंदी लाता है। उच्च का गुरु वक्री होने पर यदि अशुभ प्रभाव में हो तो तेजी कारक अन्यथा मंदी कारक होता है। नीच का गुरु वक्री हो तो तेजी लाता है। शुक्र: शुक्र नैसर्गिक शुभ ग्रह है, इसलिए मंदी कारक है। भोग का कारक ग्रह होने के कारण जातक को शारीरिक सुख-सुविधा का भोग करवाता है अर्थात इसका शेयर बाजार पर विशेष प्रभाव नहीं देखा गया है। शुक्र किसी भी राशि में अकेला स्थित हो तो मंदी कारक होता है। बुध की राशियों मिथुन और कन्या में स्थित शुक्र तेजी लाता है। इसके वक्री होने पर सामान्यतः मंदी आती है। यह यदि मिथुन या कन्या राशि में वक्री हो तो तेजी आती है। वृष, सिंह, तुला या वृश्चिक राशि में शुक्र मार्गी हो तो तेजी आती है। शुक्र के अस्त होने पर बाजार में तेजी आती है। शनि: शनि नैसर्गिक पापी ग्रह है, इसलिए तेजी कारक है। शनि की गति मंद होने के कारण तेजी या मंदी अधिक समय तक रहती है। शनि का संबंध यदि सूर्य के साथ मेष राशि में हो तो मंदी कारक होता है। सिंह, कन्या, मकर और तुला राशियों में शनि का गोचर तेजी कारक होता है। शनि का वक्री होना तेजी कारक होता है। उच्च का शनि वक्री हो तो चित्रा नक्षत्र में तेजी कारक, स्वाति नक्षत्र में मंदी कारक तथा विशाखा नक्षत्र में पुनः तेजी कारक होता है। शनि का प्रभाव नक्षत्र स्वामी के अनुसार बदलता
कोनसा ग्रहःनक्षत्र क्या फल देता है शैर बजार में।
सूर्य: यह ब्रह्मांड का राजा ग्रह है। इसे स्टाॅक एक्सचेंज का कारक भी मानते हैं। जब कभी कोई ग्रह सूर्य के कारण अस्त ह ता है तो शेयर बाजार का रुख बदल जाता है। यदि बाजार तेजी की ओर चल रहा हो तो मंदी की ओर और यदि मंदी की ओर चल रहा हो तो तेजी की ओर चलने लगता है। अग्नि तत्व राशियों (1, 5, 9) तथा वायु तत्व राशियों (3, 7, 11) में सूर्य बाजार में तेजी लाता है। सूर्य पर जब अशुभ ग्रह मंगल, शनि और राहु का प्रभाव होता है, या वह शत्रु राशि में होता है तो बाजार का रुख तेजी की ओर होता है। इसलिए सूर्य संक्रांति की ग्रह स्थिति को देख कर ज्योतिषी महीने भर के लिए बाजार के रुख का पूर्वानुमान लगाते हैं। सूर्य का राशि में गोचर या दृष्टि उस राशि की कारक वस्तुओं में तेजी लाती है। सूर्य का राहु, केतु, हर्षल, नेप्च्यून, प्लूटो, शनि या मंगल के साथ संबंध बाजार के रुख में परिवर्तन लाता है। चंद्रमा: यह पृथ्वी के सबसे निकट तथा शीघ्रगामी ग्रह है। इसलिए इसका प्रभाव भी सबसे अधिक होता है। दैनिक तेजी/ मंदी का विचार चंद्रमा से किया जाता है। चंद्रमा का बल उसके पक्ष के अनुसार होता है। चंद्रमा शुक्ल पक्ष एकादशी से कृष्ण पक्ष पंचमी तक पूर्ण बली तथा शुभ रहता है। कृष्ण पक्ष षष्ठी से अमावस्या तक निर्बल होता जाता है तथा अशुभ कहलाता है। शुक्ल प्रतिपदा से वह बल प्राप्त करना आंरभ करता है और इस पक्ष की पंचमी से दशमी तक मध्यम बली कहलाता है। शुभ चंद्रमा मंदी कारक और अशुभ तेजी कारक होता है। अशुभ चंद्रमा का पाप ग्रहों से संबंध अधिक तेजी लाता है। चंद्रमा के शुक्ल पक्ष में प्रवेश की कुंडली बना कर तेजी/मंदी का अनुमान लगाया जाता है। अग्नि तत्व राशियां में चंद्रमा का गोचर तेजी का कारक होता है। पीड़ित, शत्रुराशिस्थ तथा पाप मध्य चंद्रमा तेजी कारक होता है। चंद्रमा का सर्वाधिक प्रभाव तरल पदार्थों पर होता है। भरणी, कृत्तिका, आद्र्रा, अश्लेषा तथा मघा नक्षत्रों पर उदय सर्वाधिक तेजी लाता है। मंगल: मंगल अग्नि तत्व ग्रह है, इसलिए तेजी कारक है। जब मंगल अग्नि तत्व या वायु तत्व राशियों में गोचर करता है तो तेजी लाता है। जल तत्व राशियों में अचानक तेजी या मंदी लाता है। उस पर अशुभ ग्रहों का प्रभाव तेजी लाता है। वह जब वक्री होता है तो तेजी लाता है। मार्गी तथा शुभ ग्रहों के प्रभाव में होने पर मंदी लाता है। यदि मंगल उच्च राशि मकर में वक्री हो तो अधिक तेजी लाता है और नीच राशि कर्क में वक्री हो तो अचानक तेजी या मंदी लाता है। बुध: बुध व्यापार, बुद्धि, वाणी और शेयर बाजार का कारक ग्रह है। इसमें तेजी और मंदी दोनों का फल मिलता है। यह शीघ्रगति ग्रह है तथा हमेशा अन्य ग्रहों का प्रभाव देता है। इसलिए शेयर बाजार की जानकारी के लिए बुध का अध्ययन करना अति आवश्यक है। बुध के वक्री होने पर तेजी आती है। यदि वक्री बुध पर अशुभ ग्रहों का प्रभाव हो तो तेजी अधिक होती है। उच्च का बुध वक्री होने पर मंदी कारक और नीच का वक्री होने पर तेजी कारक होता है। बुध के उदय होने पर शेयर बाजार में पहले तेजी फिर मंदी आती है। गुरु: यह एक नैसर्गिक शुभ ग्रह हैं, इसलिए मंदी कारक है। इसकी गति मंद होने के कारण यह एक वर्ष के लिए तेजी या मंदी लाता है। अशुभ प्रभाव में बृहस्पति तेजी का कारक बन जाता है। बृहस्पति के वक्री होने पर स्थायी मंदी आती है। सिंह राशि में वक्री होने पर यह तेजी कारक होता है। मित्र राशि, स्वराशि और उच्च राशि में स्थित हो तो लंबे समय तक मंदी लाता है। उच्च का गुरु वक्री होने पर यदि अशुभ प्रभाव में हो तो तेजी कारक अन्यथा मंदी कारक होता है। नीच का गुरु वक्री हो तो तेजी लाता है। शुक्र: शुक्र नैसर्गिक शुभ ग्रह है, इसलिए मंदी कारक है। भोग का कारक ग्रह होने के कारण जातक को शारीरिक सुख-सुविधा का भोग करवाता है अर्थात इसका शेयर बाजार पर विशेष प्रभाव नहीं देखा गया है। शुक्र किसी भी राशि में अकेला स्थित हो तो मंदी कारक होता है। बुध की राशियों मिथुन और कन्या में स्थित शुक्र तेजी लाता है। इसके वक्री होने पर सामान्यतः मंदी आती है। यह यदि मिथुन या कन्या राशि में वक्री हो तो तेजी आती है। वृष, सिंह, तुला या वृश्चिक राशि में शुक्र मार्गी हो तो तेजी आती है। शुक्र के अस्त होने पर बाजार में तेजी आती है। शनि: शनि नैसर्गिक पापी ग्रह है, इसलिए तेजी कारक है। शनि की गति मंद होने के कारण तेजी या मंदी अधिक समय तक रहती है। शनि का संबंध यदि सूर्य के साथ मेष राशि में हो तो मंदी कारक होता है। सिंह, कन्या, मकर और तुला राशियों में शनि का गोचर तेजी कारक होता है। शनि का वक्री होना तेजी कारक होता है। उच्च का शनि वक्री हो तो चित्रा नक्षत्र में तेजी कारक, स्वाति नक्षत्र में मंदी कारक तथा विशाखा नक्षत्र में पुनः तेजी कारक होता है। शनि का प्रभाव नक्षत्र स्वामी के अनुसार बदलता